विप्रो जिसे कहा जाता है की ये भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों मे से एक है , ने विप्रो मे काम कर रहे 300 कर्मचारियों को निकल दिया है। What is Moonlighting
देश में इस वक्त मूनलाइटिंग की चर्चा गर्म चल रही है. खास तोर पर आईटी सेक्टर में. कोई इसे सही कहता है तो कोई इसे धोखा बता रहा हैl पर आखिरकार ये What is Moonlighting और इसकी इतनी चर्चा क्यों हो रही है? इस पूरे बहस की शुरुआत कैसे हुई? ये सब हम आपको बताएंगे इस ब्लॉग मे, चलिए जानते है आखिर कर क्या है पूरा मामला l
मूनलाइटिंग क्या है? (What is Moonlighting)
मूनलाइटिंग एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल किसी कर्मचारी द्वारा अपनी नियमित नौकरी करने के साथ ही कही दूसरी जगह भी काम करता है तो उसे आमतौर पर ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) कहा जाता है. जैसा कि आप लोगजानते है की अधिकांश 'सामान्य' नौकरियां दिन में सुबह 9 से शाम 5 बजे तक की होती है, वहीं दूसरी और दूसरी नौकरी रात में की जाती है, इसलिए इसमें 'मून यानी चंद्रमा' का संबंध है.
आमतौर पर कम सैलरी वाले लोग अतिरिक्त आय के लिए ऐसा करते हैं. लेकिन अब अच्छी सैलरी पाने वाले आईटी सेक्टर के कर्मचारी भी ऐसा कर रहे हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान में इसका चलन बढ़ा है. जिसके कारन आईटी सेक्टर मे मूनलाइटिंग काफी प्रचलित रही जानकारों के मुताबिक आईटी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कर्मचारियों को मूनलाइटिंग का मौका मिला है.
क्यों हो रही चर्चा मूनलाइटिंग की ?
मूनलाइटिंग के बढ़ते चलन की वजह से आईटी सेक्टर में आईटी प्रोफेशनल्स (IT professionals) के बीच मूनलाइटिंग (Moonlighting) के लिए नई बहस शुरू हो गई है. विप्रो ने मूनलाइटिंग को डिफाइन करते हुए अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया (What is Moonlighting) मतलब एक ही वक्त में कई कंपनियों के लिए काम करने के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, जिसके बाद ही (What is Moonlighting) चर्चा ने जोर पकड़ा.
हम आपको बता दें कि बीते दिनों मे आईटी कंपनी जिसमें से इन्फोसिस (Infosys) ने भी अपने कर्मचारियों को इंटरनल मेल के जरिए मूनलाइटिंग को लेकर चेतावनी दी थी. वहीं पर , टीसीएस (TCS) और आईबीएम (IBM) भी मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी है.
कैसे शुरुआत हुई मूनलाइटिंग पर बहस ?
विप्रो, देश की दिग्गज टेक कंपनी के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने सबसे पहले इस मुद्दे पर आवाज उठाते हुए इसे धोखा करार दिए थे l बुधवार को प्रेमजी ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के कार्यक्रम मे कहा कि, "मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति निष्ठा का पूरी तरह से उल्लंघन है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी के लिए एक ही समय में विप्रो और प्रतिद्वंदी के यहाँ भी काम करने के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है.
रिशद प्रेमजी जो की विप्रो चेयरमैन है, ने इससे पहले ट्विटर पर भी मूनलाइटिंग (What is Moonlighting) के खिलाफ आवाज उठाई थी.
समर्थन और विरोध? (What is Moonlighting)
आईटी कंपनी विप्रो (Wipro), इन्फोसिस (Infosys), आईबीएम (IBM) और टीसीएस (TCS) मूनलाइटिंग को लेकर आपत्ति जता चुकी हैं.वही पर
इसको लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है. कई कंपनियां इसके विरोध में हैं तो कुछ कंपनियों ने इसको समर्थन दिया है l
वहीं सीपी गुरनानी (CP Gurnani) जो की टेक महिंद्रा के सीईओ है , ने इसका समर्थन किया है. हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि समय के साथ बदलते रहना जरूरी है और मैं हमारे काम करने के तरीकों में बदलाव का स्वागत करता हूं.
स्विगी (Swiggy) जो की एक फूड डिलीवरी कंपनी है , ने अपने यहां मूनलाइटिंग को मंजूरी दी है. स्विगी की ओर से कहा गया कि कंपनी के कर्मचारी वर्किंगऑवर्स (Working Hours) के बाद दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए भी काम कर सकते हैं. वहीं आईटी सहित अन्य सेक्टर के कर्मचारी भी मूनलाइटिंग का समर्थन कर रहे हैं.
Written by Kumar Anubhav...
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