Topic:-How Indian Car Companies are dominating
1991 में एलपीजी सुधार आए जिसके चलते इंडिया के इकोनॉमी और इंडस्ट्रियल पॉलिसी में महत्वपूर्ण बदलाव हुए।1993 की नई ऑटोमोबाइल नीति की शुरूआत ने वैश्विक असेंबलरों को भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी।How Indian Car Companies are dominating
उस समय भारत सरकार ने घटक के स्थानीयकरण पर जोर दिया,वाहनों के लिए मास उत्सर्जन नियामक मानदंड पेश किए गए,और इसी दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग नीति की घोषणा।
1997 में संयुक्त उद्यमों की स्वत: एफडीआई मंजूरी की अनुमति दी गई थी जिसके तहत विदेशी भागीदार बहुसंख्यक हिस्सेदारी का 51% हिस्सा रख सकता है
उदारीकृत नीतियां और असंतृप्त बाजार को देखते हुए बहुत से वैश्विक प्रतिस्पर्धी वाहन निर्माताओं ने भारतीय यात्री कार बाजार में प्रवेश करना शुरू किया।
जापानीस के भाग लेना से भारत यात्रा कार मार्केट के संरचना में सिग्निफिकेंट बदलाव हुए महिंद्रा, हिंदुस्तान मोटर्स, प्रीमीयर ऑटोमोबाइल्स, डीसीएम जैसी इंडियन कंपनीज ने फोर्ड, मर्सिडीज़, जनरल मोटर्स के साथ संयुक्त उद्यम स्थापना किए। और मध्यम साइज के कार को असेंबल करना शुरू किया इससे मार्केट कंपटीशन काफी बढ़ गया इन सभी बदलावों के कारण इंडस्ट्री में भारतीय बाजार में गतिशीलता, विविधीकरण और तीव्र प्रतिस्पर्धा ने जन्म लिया।
ऑटोमोबाइल के बाकी सभी सेगमेंट की तुलना में यात्रा वाहनों में फॉरेन सबसे ज्यादा दिखाई देने लगी लेकिन हालांकि ज्यादातर फॉरेन पार्टनर से इक्वल शेयर इन इक्विटी के लिए शुरुआत की लेकिन हां टोटल ज्यादा से ज्यादा शेयर इन्हीं का होने लगा भारतीय साझेदार क्षमता विस्तार में ज्यादा योगदान नहीं दे सके इस वजह से विदेशी साझेदार अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते रहे।
आधुनिक संयंत्रों के निर्माण के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा एफडीआई की एक महत्वपूर्ण राशि का निवेश किया गया था
पोस्ट 2000 के समय मारुति सुजुकी जैसी इंडियन फॉर्म्स ने धीमी की अपनी डिजाइन और डेवलपमेंट कैपेबिलिटी को डिवेलप करना शुरू किया।
1998 में टाटा मोटर्स ने फर्स्ट मोटर्स कार टाटा इंडिका लॉन्च की ।
2002 में महिंद्रा एंड महिंद्रा ने स्कॉर्पियो को लांच किया।
2004 में टाटा मोटर्स में डेमियर मिल्स के साथ मिलकर mercedes-benz पैसेंजर कार मैन्युफैक्चर करने के लिए एक साइन किया। mercedes-benz india limated ने मर्सिडीज-बेंज इंडिया लिमिटेड ने विदेशी आयातित इकाइयों को पूरी तरह से गिरा दिया।बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने विदेशी नेटवर्क के लिए भारत को एक निर्यात मंच के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया।
स्मॉल कार सेगमेंट ने बेहतरीन परफॉर्म किया और इंडिया स्माल कार के मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक ग्लोबल हब के रूप में देखा जाने लगा
2002 से
अंतर राष्ट्रीय फर्मों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण भारत के घटक उद्योग को अपनी प्रक्रिया उत्पाद गुणवत्ता मानकों, प्रौद्योगिकी आदि में सुधार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। नई पीढ़ी के वाहनों के लिए कलपुर्जे बनाने की क्षमता विकसित की जाने लगी थी। के साथ-साथ भारतीय कंपनियों ने तकनीकी स्तर पर अपनी पारंपरिक ताकत को बरकरार रखा जैसे कि एक पार्सिंग फोर्जिंग और सटीक मशीनिंग और वेल्डिंग पीस और पॉलिशिंग की तरह फैब्रिकेटिंग जैसे अपने ट्रेडिशनल स्टैंड को भी मजबूत किया अपडेटेड ऑफ कैपेबिलिटीज कोलैबोरेशन से इंडियन कंपनीज इन ए लोकल डिजाइन के थ्रू लोकल रिक्वायरमेंट को पूरा किया इंडिया के डोमेस्टिक कार बनाने वाली कंपनी जैसे टाटा मोटर्स महिंद्रा एंड महिंद्रा इंफेक्शन के लिए विनिर्माण सुविधाओं का विकास किया है महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास प्रौद्योगिकी विकास और परीक्षण डेवलप्ड किए।
इतना ही नहीं बल्कि इंडियन कंपनीज ने ईस्ट एशिया साउथ एशिया अफ्रीका और यूरोप के मैन्युफैक्चर के साथ एलायंस करना शुरू किए और देखते ही देखते इंडियन रेल फैक्चर स्नेह ओ आर सी एस मार्केट स्कोर भी ग्रेटर करना शुरू कर दिया स्थिर पूंजी का बेहतर उपयोग करने के लिए निर्यात को बढ़ावा देना कंपनी की व्यावसायिक रणनीतियों का एक हिस्सा था
श्रम की कम लागत और पैमाने के अर्थशास्त्र के कारण भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी गई। और साथ ही साथ इसने डॉमेस्टिक मार्केट में चल रही वीक डिमांड ऑफ सेट किया अब इंडिया स्मॉल कार्स के लिए एक आइडियल एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित होने लगा था।
सरकार ने अधिक उत्पादन खर्च करने के लिए सौ प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी । आज इंडिया ग्लोबल ऑटोमोबाइल्स ऑफ कॉम्पोनेंट्स के लिए चाइना के बाद सेकंड फास्टेस्ट ग्रोइंग मार्केट बन गया है ।
ये लार्ज कार के लिए एसेंबली हब और स्मॉल कार्स के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब भी बनाया गया है।
अब माना जा रहा है 2026 तक इंडियन ऑटो इंडस्ट्री वर्ल्ड की थर्ड लार्जेस्ट आटोमोटिव मार्केट वॉल्यूम होगी आज इंडियन ब्रांड्स खुद की रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ साथ ग्लोबल इनोवेशन नेटवर्क्स के साथ भी इनीशिएटिड है । इसके अलावा यह दुनिया भर से सूटेबल टेक्नोलॉजी के स्रोत भी करते है ।
दोस्तों ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सेव करने के लिए इंडियन गवर्नमेंट के पॉलिसी का बहुत बड़ा योगदान रहा है गवर्नमेंट द्वारा लिए गए कई इनीशिएटिव्स जैसे कि ऑटोमेशंस प्लेन 2026, स्क्रेपेज पॉलिसी, और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम , के चलते इंडिया टू व्हीलर फोर व्हीलर मार्केट मैं लीडर के तरह उभरकर सामने आया एफडीआई ने भी इंडियंस कार के प्रोडक्टिविटी और टेक्नोलॉजी को इंप्रूव करने और कॉम्पिटीटीवनेस को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण रोल निभाया।
इन सभी के कारणों के साथ-साथ फॉर्म स्टेट जींस ओनरशिप और टाटा और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे बिग बिजनेस ग्रुप का मैनेजरियल विजन का भी इंडियन कार परफॉर्मेंस को इंप्रूव करने में अहम योगदान
हेड सर रतन टाटा का फर्स्ट इंडियन कार ऑफ फर्स्ट पीपल कार्स डिवेलप करने की वीजा नहीं टाटा इंडिका और टाटा नैनो का जन्म दिया इंडिया में बहुत बड़ी मार्केट में मेडल इकोनामिक क्लास होना जोकि अनसैचुरेटेड मार्केट क्रिएट करती है इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के ग्रोथ पोटेंशियल को बढ़ाने के लिए साथ ही इंडिया में low-cost लेवल अवेलेबल होने के कारण यहां प्रोडक्शन कॉस्ट काफी कम है इसके अलावा स्किल एंड इंजीनियरिंग टैलेंट भी मौजूद है
Written by Kumar Anubhav...
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Topic:- How Indian Car Companies are dominating
since 1992
LPG reforms came in 1991, which led to significant changes in India's economy and industrial policy. The introduction of the new automobile policy of 1993 allowed global assemblers to enter India.
At that time the Government of India insisted on localization of the component, mass emission regulatory norms for vehicles were introduced, and during this time the National Highway Policy was announced.
Automatic FDI clearance of joint ventures was allowed in 1997 under which the foreign partner can hold 51% of the majority stake
Given the liberalized policies and desaturated market, many globally competitive automakers started entering the Indian passenger car market.
The participation of the Japanese brought significant changes in the structure of the India travel car market. Indian companies such as Mahindra, Hindustan Motors, Premier Automobiles, DCM set up joint ventures with Ford, Mercedes, General Motors. And started assembling mid-sized cars, thereby increasing the market competition. All these changes have led to increased industry dynamics, diversification and intense competition in the Indian market.
In comparison to all other segments of automobiles, foreign became the most visible in travel vehicles, but although most foreign partners started for equal share in equity, but they started getting more and more shares in total Indian partners did not contribute much to capacity expansion Because of this, foreign partners kept increasing their stake.
A significant amount of FDI was invested by MNCs to build modern plants
Post 2000, Indian forms like Maruti Suzuki began to develop their own design and development capabilities.
In 1998, Tata Motors launched the first Motors car, the Tata Indica.
Mahindra & Mahindra launched the Scorpio in 2002.
In 2004, Tata Motors signed an agreement with Damier Mills to manufacture mercedes-benz passenger cars. mercedes-benz india ltd Mercedes-Benz India Ltd. completely dropped foreign imported units. MNCs started using India as an export platform for their overseas network.
The small car segment performed well and India was seen as a global hub for small car manufacturing
since 2002
Due to increasing competition from international firms, the component industry of India was forced to improve its process product quality standards, technology etc. The capability to manufacture parts for new generation vehicles was beginning to be developed. Along with this, Indian companies retained their traditional strength at the technical level such as a parsing forging and precision machining and fabricating like welding grinding and polishing also strengthened their traditional stand with Updated of Capabilities Collaboration Indian Companies in a Local Designed to meet local requirements Developed manufacturing facilities for India's domestic car makers like Tata Motors Mahindra & Mahindra Infection Developed significant R&D technology development and testing.
Not only this but Indian companies started tying up with manufactures from East Asia, South Asia, Africa and Europe and soon the Indian Rail Factory started to score better and better ORCS market score to make better use of fixed capital. Promotion of exports was a part of the company's business strategies
India's competitiveness increased due to the low cost of labor and economics of scale. And at the same time it set off the ongoing week demand in the domestic market now India was starting to develop as an ideal export hub for small cars.
The government allowed 100% FDI to spend more production. Today India has become the second fastest growing market for global automobiles of components after China.
It has also been made an assembly hub for large cars and a manufacturing hub for small cars.
It is now believed that by 2026, the Indian auto industry will be the world's third largest automotive market volume. Today, Indian brands have initiated their own research and development as well as global innovation networks. Apart from this, it also sources suitable technology from all over the world.
Friends, to save the automobile industry, the policy of the Indian government has been a major contributor to the many initiatives taken by the government such as Automation Plan 2026, Scrappage Policy, and Production Linked Incentive Scheme, as a leader in the two wheeler four wheeler market in India. As emerged, FDI also played an important role in improving the productivity and technology of the Indian car and enhancing the competitiveness.
Along with all these factors, form state jeans ownership and managerial vision of big business groups like Tata and Mahindra & Mahindra have also contributed to improving Indian car performance.
Head Sir Ratan Tata's First Indian Car of First People Cars No Visa to Develop Tata Indica and Tata Nano Gave birth to medal economic class in a huge market in India which creates an unsaturated market The leaders of the Indian automobile industryIn order to increase the growth potential as well as the low-cost level available in India, the production cost is very low, apart from this skill and engineering talent is also present.
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