Privatization is Good or Bad for India

 Part 2:-Privatization is Good or Bad for India 

आज हम बात करने वाले है की क्या निजीकरण सही है या गलत इंडिया के इकॉनमी के लिए यह इस आर्टिकल का पार्ट २ है पार्ट ३ जल्द है आने वाला है तो चलिए हम इस हॉट टॉपिक के आर्टिकल को शुरू करते है। 
Privatization is Good or Bad for India



सीपीएसईएस के इस प्रोफाइल परफॉर्मेंस करने के लिए और सुधार के लिए मेजर सोर्स सुधार के लिए गवर्नमेंट ने 984 में डॉक्टर अर्जुन सेनगुप्ता के अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जिस कमेटी की रिकमेंडेशन थी कोर इंडस्ट्रीज को 17 से रिड्यूस करके 7 कर दिया जाए ताकि पब्लिक पार्टिसिपेशन को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही इस कमेटी ने सीपीएसईएस को ग्रेटर इकोनामिक बनाने और फंडरेज इकट्ठा करने की स्वतंत्रता भी बात रखें यही नहीं सीपीएसईएस की परफॉर्मेंस की है नेंस करने के लिए बढ़ाने के लिए उनमें फ्रेंच मॉडल पर बेस प्रोडक्शन बेस टारगेट फिक्स की भी अनुशंसा की


सरकार अपने पॉलिसीज और सी बी एस इ एस की परफॉर्मेंस को बेहतर करने के लिए प्रयास कर ही रही थी कि 1990 के शुरू होते होते बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस में फस गया जिसे आईएमएफ के दबाव में एलपीजी रिफॉर्म्स को अपनाने पड़े और यहां से ही असल में प्राइवेटाइजेशन का दौर शुरू होता है जहां धीरे-धीरे इंडिया के इंडस्ट्रियल मॉडल स्टेट डोमिनेंट सोशलिस्ट स्केल दूर होता साफ देखा जाने लगा यही कारण है कि 1991 पॉलिसी के अनुसार केवल आठ इंडस्ट्री ही पब्लिक सेक्टर के लिए रिजर्व रखी गई जो आज केवल घटकर 2 रह गई है जोकि एटॉमिक एनर्जी और रेलवे इसके अंतर्गत आता है

इसके साथ ही इंडस्ट्रियल लाइसेंस को 18 इंडस्ट्री को छोड़कर सभी इंडस्ट्री के लिए खत्म कर दिया गया जबकि आज की स्थिति में यह सिर्फ और सिर्फ 6 इंडस्ट्री के लिए ही सीमित है जो कि निम्न है
1.शराब पीने का आसवन और शराब बनाना
2.सिगार और सिगरेट
3.इलेक्ट्रॉनिक एयरोस्पेस और रक्षा उपकरण
4 औद्योगिक विस्फोटक
5.खतरनाक रसायन
6.दवाएं और फार्मास्युटिकल

Written by Kumar Anubhav....


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