मंत्री ने सीएनएन की निंदा की, और रूसी तेल की खरीद का बचाव किया। 'भारतीयों के लिए नैतिक कर्तव्य':
भारत के हरदीप सिंह पुरी जो की केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री है। ने भारत की खरीद का बचाव करते हुए कहा कि भारत रूस से केवल 0.2 प्रतिशत तेल खरीदता है, न कि 2 प्रतिशत और यह एक चौथाई में खरीदता है।
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री का कहना है की किसी भी प्रकार का कोई नैतिक द्वंद्व नहीं है. उन्होंने कहा कि जब हंगरी, चीन और जापान तथाकथित आर्थिक प्रतिबंध के बाद भी तेल खरीद सकता है तो भारत क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि भारत और भारत के नागरिकों का हित सर्वोपरि है. ये वयान हरदीप सिंह पुरीने के द्वारा सोमवार को दिया गया।
ब्रिटिश पत्रकार, और सीएनएन इंटरनेशनल के प्रमुख समाचार के एंकर बेकी एंडरसन के एक सवाल के जवाब में, जिन्होंने पुरी से सवाल किया था कि क्या भारत को रूस से इतना कुछ खरीदने पर "शर्म" है , हरदीप सिंह पुरी ने कहा: "बिल्कुल नहीं, कोई नैतिक संघर्ष नहीं है, अगर कोई वैचारिक स्थिति लेना चाहता है। हम एक्स या वाई से नहीं खरीदते हैं, हम जो कुछ भी उपलब्ध है उसे खरीदते हैं मैं खरीदारी नहीं करता, यह तेल कंपनियां हैं जो खरीदती हैं।
पूरी से यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को रूस की रियायती दरों से फायदा हो रहा है , तो पुरी है की , "पहले मैं आपके दृष्टिकोण को सही करने की कोशिश करता हूं, हमारे द्वारा वित्तीय वर्ष 2022 को समाप्त कर दिया गया है , रूसी तेल की खरीद 2 प्रतिशत नहीं थी, यह 0.2 प्रतिशत थी। इसके अलावा, पेट्रोलियम मंत्री ने टीवी चैनल सीएनएन को दिए इंटरव्यू में साफ शब्दों में कहा कि इसमें किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि भारत सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदता है. उन्होंने कहा कि रूस से जितना तेल भारत तीन महीने में खरीदता है, उतना तेल यूरोप एक दिन में खरीदता है. उन्होंने कहा कि 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष 2022 में भारत ने रूस से कुल तेल आयात का सिर्फ 0.2 प्रतिशत खरीदा है. भारत सबसे ज्यादा तेल इराक से खरीदता है. तो, आइए इस बारे में बहुत स्पष्ट करे कि इसका परिप्रेक्ष्य क्या है।"
भारत की बैकअप योजना के बारे में पूछे जाने पर कि क्या पश्चिम रूस से तेल प्रतिबंध को कड़ा करने का फैसला करता है, पुरी ने कहा, "हमारे पास कई बैकअप योजनाएं हैं, मैं उस तरह से नहीं देखता जिस तरह से आप इसे देख रहे हैं। अमेरिका के साथ हमारी स्वस्थ चर्चा चल रही है और यूरोप। हम कोई दबाव महसूस नहीं करते हैं, मोदी सरकार दबाव महसूस नहीं करती है। हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, हम एक देश हैं, जो संक्रमण कर रहे हैं। जब आप तेल की कीमतों में वृद्धि करते हैं उनके परिणाम हैं - उनमें से एक है - मुद्रास्फीति और मंदी होगी, दूसरा हम हरित ऊर्जा में परिवर्तन करेंगे।" केंद्रीय मंत्री ने रूस के भारत को तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता होने के बारे में भी हवा दी।
किसी तरह का कोई विवाद नहीं
मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है और हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने नागरिकों को जरूरत का पेट्रोल, डीजल और गैस सप्लाई करें. उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिदिन 60 मिलियन लोग पेट्रोल पंप पर तेल भराते हैं और उन्हें तेल किफायती दाम में मिले इसके लिए भारत सरकार ने अपना राजस्व कम करते हुए तेल पर लगे टैक्स में कटौती की है. इंटरव्यूवर ने जब पुरी से पूछा कि क्या रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का किसी तरहका कोई कूटनीतिक विवाद नहीं है.
तेल खरीद में सरकार का हाथ नहीं
पेट्रोलियम मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि कच्चे तेल के आयात में सरकारी एजेंसी ओएनजीसी का कोई हाथ नहीं है. तेल का ट्रेड पूरी तरह से प्राइवेट कंपनियां करती हैं और वो किसी एक्स या वाई देश देख कर नहीं, बल्कि जहां तेल उपलब्ध है वहां से खरीदती हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत ने अमेरिका से कुल 20 अरब डॉलर का तेल आयात किया था जो ओपेक देशों से कुल आयात का 50 प्रतिशत है. इससे स्पष्ट है कि हम तेल या गैस वहां से खरीदेंगे जहां उपलब्ध रहेगा.
भारत का हित सबसे जरूरी
जी-7 समूह द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध में सहायता को लेकर पूछे गए सवाल पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि भारत अपने हित को देखते हुए फैसला करेगा. उन्होंने कहा कि भारत और भारत के नागरिकों का हित सर्वोपरि है.
चीन और जापान खरीद सकता है तो भारत क्यों नहीं
पूरी से पूछा गया की क्या भारत रूस से तेल आयात को फिलहाल होल्ड कर सकता है?
इस सवाल का जवाब देते हुए पुरी ने कहा कि अगर भारत अगर भारत या कोई अन्य देश रूस से तेल नहीं खरीदता है तो रूस का तेल मार्केट से बाहर हो जाएगा. इससे अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल की
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