Topic:-What is Mom
नमस्कार,आदाब, ससरिकार आ गया है आपका होस्ट एंड दोस्त ''कुमार अनुभव'' आज हम इस ब्लॉग मे जानगे की 6 महीने का मिशन 8 साल तक चला; इस मिशन में चीन और जापान भी हुए थे फेल, कहानी भारत के मिशन 'मंगल' की, जिसे सुनकर देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था। मंगलयान मिशन का आज ही दिनाक 03-10-2022 को अंत हो चुका है.इस मिशन का अबजा कर के 8 साल 8 दिन के बाद इस शानदार अंतरिक्ष मिशन का ईंधन और बैटरी खत्म हो चुकी है. "पढ़िए मंगलयान की कहानी"(What is Mom)
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मंगलयान भारत का प्रथम मंगल मिशन था। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक माना जाता है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 5 नवंबर 2013 को (2:38) पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए एक उपग्रह छोड़ा गया था।(What is Mom) जिसे मंगल मिशन कहा गया। 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत का यह अभियान पहले ही प्रयास में सफल हो गया।
कम साधन होने के बावजूद भी यह कामयाबी
अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत निरंतर नई-नई उपलब्धियां हासिल करता रहा है। उनमे से भारत के लिए एक उपलब्धि यह भी थी कि इसने पहले ही प्रयास में अपना मंगल अभियान पूरा कर लिया। ये तो बहुत ही बड़ी बात है कि भारत जैसे देश के लिए इसे बड़ी कामयाबी मानी जाएगी। भारत के इस अभियान की सफलता के बाद खुद नासा ने भी बधाई दी थी। (What is Mom)सबसे खास बात तो यह है कि भारत का यह मिशन काफी मुश्किल रहा। मिशन पर करीब-करीब 450 करोड रुपए खर्च हुए थे। भारत के मंगलयान मिशन के पूरा होने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु के इसरो केंद्र में मौजूद रहे थे। प्रधानमंत्री ने इस मिशन के लिए वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए बोले की आज के दिन इतिहास बना है। हमने लगभग असंभव काम को संभव कर दिखाया है। मैं सभी भारतीयों और इसरो वैज्ञानिकों को मुबारक देता हूं। कम साधन होने के बावजूद भी यह कामयाबी वैज्ञानिकों के पुरुषार्थ के कारण मिली है।
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चीन और जापान भी हुए थे फेल
मानो तो भारत के लिए यह कामयाबी इतनी आसान भी नहीं रही। मंगलयान भारत का प्रथम मंगल मिशन था। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक माना जाता है। इस मिशन के तहत 5 नवंबर 2013 समय 2:38 पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए एक उपग्रह छोड़ा गया था।(What is Mom) उपग्रह सितंबर 24, 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत का यह अभियान पहले ही प्रयास में सफल हो गया। भारत ऐसा चौथा देश बन गया जिसने पहले ही प्रयास में मंगल पर अपने यान भेजे हैं, इससे पहले सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इस मिशन में सफलता प्राप्त कर रखा है। इसके अलावा यह मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है। अगर वही इसके ऊपर बनी फिल्म इसके अलगत के आधे से ज्यादा कमा ले थी। ऐसा करने वाला भारत एशिया का पहला देश भी बना। इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे। वैसे भी मंगल को जानने के लिए शुरू किए गए दो तिहाई अभियान असफल भी रहे हैं।
मिशन का प्राथमिक उद्देश्य
नवंबर 23, 2008 को मंगल ग्रह के लिए मानव रहित मिशन की पहली घोषणा इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष "माधवन नायर" ने की थी। बाद में भारत सरकार की ओर से इसे मंजूरी भी दी गई थी। इस मिशन का उद्देश्य भारत के रॉकेट प्रक्षेपण प्रणाली, अंतरिक्ष यान के निर्माण और संचालन क्षमताओं को प्रदर्शित करना था। इसके साथ ही मिशन का प्राथमिक उद्देश्य ग्रहों के बीच के संचालन उपग्रह, डिजाइन योजना और प्रबंधन के लिए आवश्यक तकनीक को ही विकसित करना है। वैज्ञानिको के अनुसार देखें तो मंगलयान मंगल ग्रह की सतह की आकृति , स्थलाकृति और खनिज का अध्ययन करके विशेषताएं भी पता लगाने में सक्षम था। इसके अलावा वह वायुमंडल पर शौर हवा, विकिरण और बाहर अंतरिक्ष गतिशीलता का भी अध्ययन करने में सक्षम था।
इसे MOM भी कहा गया, यानी कि मार्स आर्बिटर मिशन।
मंगल ग्रह पर जीवन के सूत्र तलाशने के लिए भी बेहद ही उपयोगी। इस 1350 किलोग्राम वजन वाले इस अंतरिक्ष यान में 5 उपकरण लगे थे। इन उपकरणों में एक सेंसर, एक कलर कैमरा और एक थर्मल इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर भी शामिल था। भारत के इस सफल अभियान के साथ ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का ठाट-बाट भी काफी बढ़ा है। प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने मंगलयान को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में भी शामिल किया था। यह जानना भी आपके लिए बेहद ही जरूरी है कि भारत ने 19 अप्रैल 1975 को स्वदेश निर्मित उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण के साथ ही अपने अंतरिक्ष सफर की शुरुआत की थी। और इस मिशन
को MOM भी कहा गया, यानी कि मार्स आर्बिटर मिशन। इसके बाद से अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत लगातार कई सफलताएं हासिल करता रहा है। मंगलयान द्वारा भेजी गई तस्वीरें लगातार अध्ययन के काम में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
मंगलयान से जुड़े कुछ घटनाक्रम
3 अगस्त 2012 को भारत सरकार के द्वारा मंगलयान परियोजना को स्वीकृति दिया गया।
5 नवंबर 2013 यह भारत के लिए बेहद ही ऐतिहासिक क्षण था की जब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट ने उड़ान भरी तो
7 नवंबर 2013 को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की पहली कोशिश सफल हुई थी।
16 नवंबर 2013 को मंगलयान को आखिरी बार कक्षा में बढ़ाई गई थी।
1 दिसंबर 2013 को मंगलयान ने सफलतापूर्वक पृथ्वी को छोड़ दिया और मंगल की तरफ बढ़ गया था।
4 दिसंबर 2013 को मंगलयान पृथ्वी के 9.25 लाख किलोमीटर घेरे के प्रभाव क्षेत्र से भी बाहर निकल गयी थी।
11 दिसंबर 2013 को इसमें पहली दिशा संशोधन प्रक्रिया को संपन्न किया गया था।
11 जून 2014 को दूसरी दिशा संशोधन प्रक्रिया भी संपन्न हुई थी।
22 सितंबर 2014 को एमओएम पहली बार मंगल के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश किया गया।
24 सितंबर 2014 को मंगल यान के मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के साथ ही भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण रहा था।
अब बात करते है आज की न्यूज़ कि, की End of Mangalyaan Mission: मंगलयान मिशन का हुआ अंत, ईंधन-बैटरी सब खत्म..संपर्क भी टूटा
ISRO के मंगलयान जिसे MOM भी कहा जाता है। इस मिशन का अंत हो चुका है. 8 साल 8 दिन के बाद इसके शानदार प्रदर्शन के बाद अंतरिक्ष मिशन का ईंधन और बैटरी खत्म हो चुका है. अब भारत के मंगलयान से किसी तरह की कोई संपर्क नहीं।
ISRO ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि अब मंगलयान में ईंधन नहीं बचा है. पूरी तरह से खत्म हो चुका है. स्पेसक्राफ्ट की बैटरी भी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। हमारा, मंगलयान से लिंक भी टूट चुका है.
मंगल ग्रह पर ग्रहण
ISRO के एक अधिकारी ने बताया कि हाल ही में लगातार मंगल ग्रह पर ग्रहण लग रहे थे. सबसे लंबा ग्रहण साढ़े सात घंटे की थी . यहां पर ग्रहण का मतलब ये नहीं था कि स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह के पीछे चला गया था. चुकी मंगलयान में लगी थी सोलर पावर जिसके कारन इसकी बैटरी सूरज की रोशनी के बगैर एक घंटे और 40 मिनट तक ही चल सकता था। इसके बाद यह किसी काम का नहीं रहा.तो जिसके कारन इसकी बेट्टेरी ख़तम हो गयी। अंदेशा लगाया आज रहा यही की ये फिर एक बार सूरज की रौशनी मे आएगा।
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क्या फिर लॉन्च किया जा सकता है 'मंगलयान-2'
ऐसा कहा जा रहा है कि इसरो मंगलयान-2 को लेकर सोच रहा है लेकिन इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी अभी तक सामने नही आया। फिलहाल इसरो का फोकस मानव मिशन गगनयान (Gaganyaan) पर है.
आप सभी का बहुत- बहुत धन्यवाद इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के लिए। आप सभी को ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में अवश्य बताइयेगए।
Written by Kumar Anubhav....
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