Topic:-How Indian Car Companies are dominating
दोस्तों एक समय था जब कार में "ऐसी" होना लग्जरी माना जाता था लेकिन आज ऐसी से भी कहीं ज्यादा एडवांस फीचर जैसे कि डिजिटल डैशबोर्ड कैमरास आमतौर पर पाए जाते हैं जमाना कितनी तेजी से बदल रहा है इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि अब कार में रियल टाइम डाटा सर्विस टेलीमेटिक्स सेंसस ऑल कॉल असिस्टेंट जैसी रियल डाटा सर्विसिस भी अवेलेबल होती है आज कार सिर्फ बाहर की दुनिया से कनेक्ट करने का एकमात्र जरिया नहीं रह गई लेकिन लोगों के लाइफ का एक इंटीग्रल पार्ट वन चुकी है ।How Indian Car Companies are dominating
जय हिंद मेरे प्यारे दोस्तों आज मैं लेकर आया हूं कैसे भारत के कार निर्माताओं कंपनी का दबदबा अभी पूरी दुनिया में इसके बारे में हम पूरी डिटेल में इस आर्टिकल में जाने वाले हैं यह आर्टिकल दो भाग में बनेगा यह भाग पहला है दूसरा भाग जल्द आएगा How Indian Car Companies are dominating
कंजूमर के ग्रोइंग डिमांड के अकॉर्डिंग टेक्नोलॉजी में इंप्रूवमेंट्स किए जा रहे हैं जिससेकी कंज्यूमर के यूजर एक्सपीरियंस को बढ़ाया जा सके
दोस्तों आज हम दिल्ली मुंबई जैसे किसी बड़े शहर के सड़कों पर निकलते हैं तो ऐसा लगता है मानो गाड़ियों की बाढ़ सी आ गई है और हर कोई अपनी प्राइवेट कार में यात्रा कर रहे हैं लेकिन मैं आपको बता दूं रियलिटी सच्चाई इससे कोसों दूर है
मई 2022 में मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के द्वारा कांटेक्ट किया गया की नेशनल फैमिली हेल्थ वेलफेयर सर्वे के मुताबिक सिर्फ 8 परसेंट इंडियन हाउसहोल्ड के पास ही कार है। यानी कि आज केवल 12 में से एक फैमिली के पास ही कार है 1990 में कार खरीदना एक जटिल कार्य माना जाता था लेकिन माना जाता है कि 1991 में एलपीजी रिफॉर्म्स आने के बाद से इंडिया में कार ओनर्स का नंबर बहुत धीमी गति से बढ़ रहा है।How Indian Car Companies are dominating
यहां पर मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरे द्वारा एलपीजी रिफॉर्म्स जो कि 1991 में सरकार के द्वारा किया गया था उसके ऊपर फूल इंफॉर्मेशन डिटेल में दिया गया है जिसमें से मैं एक पाठ प्राइवेटाइजेशन क्या भारत के लिए सही है या नहीं इसके लिए उस आर्टिकल में फुले ने लाइसेंस मेरे द्वारा किया गया है तो अगर आप इस में रुचि रखते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं उसको पढ़ने के लिए (How Indian Car Companies are dominating)
Read More:-Privatization is Good or Bad for India(एलपीजी रिफॉर्म्स जो कि 1991 में सरकार के द्वारा किया गया था उसके ऊपर फूल इंफॉर्मेशन डिटेल में )
अगर देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की बात किया जाए तो 1950 से लेकर अब तक इंडिया की आटोमोटिव इंडस्ट्री ने बहुत लंबा सफर तय किया है आज यह इंडस्ट्री इंडिया की इकोनामी ग्रुप में एक इंपॉर्टेंट भूमिका निभाती है जिसे हम कह सकते हैं इकोनामिक कि यह एक पिलर है ।जो इंडिया के जीडीपी में 7.1 परसेंट और जीडीपी में 49 परसेंट कंट्रीब्यूट करती है। जबकि 1992 से 1993 के बीच में यह केवल 2.77 परसेंट ही जीडीपी में कंट्रीब्यूट करती थी।(How Indian Car Companies are dominating)
दोस्तों आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि इंडिया यूरोपियन ऑटो मूवी हब जर्मनी को पीछे छोड़ कर कार सेल्स मार्केट में आज फोर्थ पोजीशन पर पहुंच गया है। इससे पहले भी साल 2019 में भारत लार्जेस्ट कार सेल्स मार्केट के लिस्ट में चौथे नंबर पर आया था।कहां जा रहा है 2025 तक यह तीसरे स्थान पर आ जाएगा।
इंडियन आटोमोटिव मार्केट के पास आज थर्ड स्थान पर पहुंचने की हजारों संभावनाएं हैं क्योंकि यहां व्यक्तिगत गतिशीलता एरिना में वाहन प्रवेश दर 33 ऑटोमोबाइल प्रति हजार है यानी की जनसंख्या के हजार लोगों में से केवल 33 लोगों के पास ही कार्य यह डाटा डेवलप्ड वर्ल्ड की तुलना में काफी कम है जापान केनेडा यूके जैसी डेवलप्ड कंट्रीज में हजार में से 500 लोगों के पास कार है बीते कुछ सालों में इंडियन कार मार्केट एग्रेसिव ग्रोथ के चलते व्हीकल के डिमांड बढ़ गए है । और वह भी खास करके वह वाहनों की जोकि खास करके मेड इन इंडिया मतलब भारत में बनाए गए उन वाहनों की बिक्री ज्यादा हुई है
पर्सनल मोबिलिटी बढ़ती हुई जरूरतों ने भी डिमांड को बढ़ा दिया है लेकिन जिस तरह के कार इंडियंस यूज करना पसंद करते हैं उस में काफी बदलाव देखने को मिला है आज इंडिया में फॉरेन ब्रांड के बजाय इंडियन कार ब्रांड डिमांड ज्यादा है फॉरेन ब्रांड छोड़कर भारत से वापस जा रहे है।
आज हम इस आर्टिकल में इसी के ऊपर चर्चा करने वाले कि कैसे भारत के कार ब्रांड्स आज इतना अच्छा परफॉर्म कर रही है और क्यों उनकी डिमांड बढ़ती जा रही है लेकिन आगे बढ़ने से मैं पहले आपको बता दूं कि अगर आप इस ब्लॉग पर नए हैं तो इस ब्लॉग को फॉलो करें और अगर आप कोई आर्टिकल पसंद आता है तो इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
शुरुआत करते हैं भारत के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के संरचना को समझने से दोस्तों भारत हमेशा से ही मल्टीनेशनल ऑटोमोबाइल के लिए एक प्राइम डेस्टिनेशन रहा है जहां मेजर इन्वेस्टमेंट जापान इटली यूएस मोरिशियस और नीदरलैंड से आती है इंडियन ऑटोमोबाइल मार्केट को 4 मैन सेगमेंट में डिवाइड किया जा सकता है
1. दोपहिया वाहनों के हैं जैसे बाइक
2. तीन पहिए वाले वाहनों का जैसे ऑटो
3. चार पहिए वाले वाहनों का है जिसमें कार
4. व्यावसायिक वाहन
दोस्तों यूथ यानी कि युवा इंडिया के पॉपुलेशन की एक बड़ा हिस्सा है जिसके चलते अगर हम वॉल्यूम के टर्म के अनुसार बात करें 80% हिस्सेदारी वाले दोपहिया वाहन भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग पर हावी हैं।
1980 तक व्यवसायिक वाहन सेकंड लार्जेस्ट सेगमेंट थे लेकिन 1990 के बाद से इसका स्थान पैसेंजर वैकेंसी यानी कि कार्स और अन्य तीन पहिए वाहन ले ली जिसका शेयर लगभग 13% है।
दोस्तों अगर इंडियन कार इंडस्ट्री की ग्रोथ की बात करें तो कार पैसेंजर की शुरुआत हिंदुस्तान मोटर्स और प्राइमा ऑटोमोबाइल लिमिटेड की स्थापना 1940 में हुई थी।भारत में पहली निर्मित कार हिंदुस्तान एंबेसडर थी जिसे 1957 में मॉरिस मोटर्स के सहयोग से हिंदुस्तान मोटर्स द्वारा लॉन्च किया गया था 1970 तक इंडिया के मार्केट शेयर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा हिंदुस्तान मोटर्स और प्रीमीयर ऑटोमोबाइल्स के साथ-साथ टेल्को अशोक लेलैंड महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज ऑटो का रहा उस समय लो इकोनामिक ग्रोथ के चलते हुए ऑटोमोबाइल्स का मार्केट बहुत छोटा था लेकिन जैसे-जैसे पर कैपिटा इनकम पड़ने लगी आम आदमी के लिए मॉडर्न फ्यूल एफिशिएंट अवार्ड देवल और लो कॉस्ट यूटिलिटी की जरूरत महसूस की जाने लगी थी
1981-1991
1981 में एक इंडियन कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड को देश के मध्य वर्ग की क्लास के लिए एफिशिएंट कार बनाने के लिए सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन को एक छोटे पार्टनर के तौर पर शामिल किया गया।
1984 में मारुति उद्योग लिमिटेड ने मारुति 800 आधुनिक तकनीक से लैस देश की पहली घरेलू निर्मित कार बनी।
एक दशक के अंदर ही मारुति उद्योग लिमिटेड ने 62 परसेंट मार्केट से अपने नाम कर ली पैसेंजर कार सेगमेंट में अभी भी 3 प्राइवेट सेक्टर प्लेयर्स के नाम ही शामिल थे।
1. मारुति उद्योग लिमिटेड
2. हिंदुस्तान मोटर्स
3. परिमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड
1980 में लाइट कमर्शियल वैकेंसी के लिए चाइनीस कंपनी जोकि टोयोटा, मित्सुबिशी, माजदा,और निसान को भी आने दिया गया ।इस कंपनी का उपयोग भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम और राज्य सरकारों के साथ इक्विटी शेयर करती थी।
Written by Kumar Anubhav...
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In English Context:-
Topic:-How Indian Car Companies are dominating
Friends, there was a time when it was considered a luxury to have such a car, but today more advanced features such as digital dashboard cameras are commonly found. Real data services like real time data service, telematics, sensor, all call assistant are also available in the car. Today, the car is no longer the only way to connect with the outside world, but has become an integral part of people's lives.
Jai Hind my dear friends, today I have brought how India's car manufacturers company dominates the whole world, we are going to go through this article in full detail, this article will be made in two parts, this part is the first, the second part will come soon
According to the growing demand of the consumer, improvements are being made in the technology so that the user experience of the consumer can be enhanced.
Friends, today we go out on the streets of a big city like Delhi Mumbai, it seems as if there is a flood of vehicles and everyone is traveling in their private car but let me tell you the reality is far from it. (How Indian Car Companies are dominating)
According to the National Family Health Welfare Survey contacted by the Ministry of Health and Family Welfare in May 2022, only 8% of Indian households own a car. That is, today only one family out of 12 owns a car. Buying a car in 1990 was considered a complicated task, but it is believed that the number of car owners in India is growing at a very slow pace since the introduction of LPG reforms in 1991. . (How Indian Car Companies are dominating)
Here I would like to tell you that full information has been given by me on the LPG reforms which was done by the government in 1991, out of which I have given a text privatization whether it is right for India or not, in that article. The license is done by me so if you are interested in this then you can click on the link given below to read it (How Indian Car Companies are dominating)
If we talk about the country's automobile industry, since 1950 till now, India's automotive industry has come a long way, today this industry plays an important role in the economy group of India, which we can say that it is a pillar of economic. Which contributes 7.1% to India's GDP and 49% to GDP. Whereas between 1992 and 1993, it contributed only 2.77 percent to the GDP.
Friends, you will be surprised to know that India has surpassed the European auto movie hub Germany and has reached the fourth position in the car sales market today. Even before this, in the year 2019, India came at number four in the list of largest car sales market. Where is it going, by 2025 it will come to third place.
Indian Automotive Market has thousands of possibilities to reach the third position today because the vehicle penetration rate in Personal Mobility Arena is 33 automobiles per thousand i.e. only 33 people out of thousand people of the population have work this data as compared to developed world It is very less, in developed countries like Japan, Canada, UK, 500 out of a thousand people have a car, due to the aggressive growth of the Indian car market in the last few years, the demand for the vehicle has increased. And that too, especially those vehicles, especially those made in India, which means that those vehicles made in India have been sold more. (How Indian Car Companies are dominating)
The increasing needs of personal mobility have also increased the demand, but there has been a lot of change in the type of car Indians prefer to use. Today, Indian car brand is more in demand than foreign brand in India, leaving the foreign brand and back from India. are going.
Today in this article we are going to discuss about how India's car brands are performing so well today and why their demand is increasing, but before moving forward let me tell you that if you are new to this blog then Follow this blog and if you like any article then share it as much as possible. (How Indian Car Companies are dominating)
Let us begin by understanding the structure of India's automobile industry, friends, India has always been a prime destination for multinational automobiles, where major investments come from Japan, Italy, US Mauritius and the Netherlands. The Indian automobile market can be divided into four main segments. Is
1. belong to two wheelers such as bikes
2. Three wheeled vehicles such as autos
3. of four wheeled vehicles in which the car
4. Commercial Vehicles
Friends, youth i.e. youth is a major part of the population of India, due to which if we talk in terms of volume, two wheelers dominate the Indian automobile industry with 80% share.
Commercial vehicles were the second largest segment till 1980 but from 1990 onwards it has been replaced by passenger vacancies i.e. cars and other three wheeler vehicles with a share of about 13%.
Friends, if we talk about the growth of Indian car industry, then Car Passenger was started by Hindustan Motors and Prima Automobile Limited in 1940. The first manufactured car in India was Hindustan Ambassador which was launched in 1957 by Hindustan Motors in association with Morris Motors. Till the 1970s, Hindustan Motors and Premier Automobiles, along with telcos Ashok Leyland Mahindra & Mahindra and Bajaj Auto, held the largest share of India's market share. but a
But the need for modern fuel efficient award devel and low cost utility was felt for the common man who started earning capita income.
1981-1991
In 1981, an Indian company, Maruti Udyog Limited, was incorporated as a minor partner to manufacture efficient cars for the middle class class of the country.
In 1984, Maruti Udyog Limited made the Maruti 800 the first domestically manufactured car in the country equipped with modern technology.
Within a decade, Maruti Udyog Limited had taken its name from 62% of the market, the passenger car segment still included the names of 3 private sector players.
1. Maruti Udyog Limited
2. Hindustan Motors
3. Parimier Automobiles Ltd.
In 1980, a Chinese company, which included Toyota, Mitsubishi, Mazda, and Nissan, was also allowed to enter light commercial vacancies. This company was used to joint ventures with Indian companies and equity shares with state governments.
Written by Kumar Anubhav...
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